शनिवार, सितंबर 04, 2021

🌼 हमारे शिक्षक 🌼

सहज ही जो शिक्षा दे, संस्कारों की दीक्षा दे,
जीवन को सही दिशा दे, प्रोत्साहन,प्रेरणा दे,
ज्ञान दे, सही सलाह दे, जीने की सीख दे,
हमारे गुरुजी, हमारे आदरणीय शिक्षक।।
 
प्रथम गुरु
ममतामयी मां, आदरणीय पिता,
जो हाथ पकड़ चलना सिखाये,
शूलों से फूल चुनना सिखाये,
अंधियारे में दीप जलाना सिखाये,
मिल-जुलकर स्नेह से जीना सिखाये।।
 
सम्मानित शिक्षक,
जो ज्ञान सागर से मोती छलकाते हैं,
फूलों की खुशबू ले जीवन महकाते हैं।
सागर की गहराइयों से मोती ढूंढना या
आसमान बाहों में भर लेना सिखाते है।।

पूजनीय गुरुदेव,
हौसला देते हैं, चट्टानों में खिलते नवांकुर को।
हिम्मत देते हैं तूफानों से लड़ते नन्हे दीप को।
जज्बा, लहरों से नैया पार कराती पतवार को।
उल्लास, जूनून के पंख लगाकर ऊँची उड़ान को।।

राष्ट्रप्रेम की ज्योत मन में करते आलोकित,
अनेकता में एकता का भाव जगाये रखते,
मिल-जुलकर प्रेम भाव से रहना सिखाते,
त्याग, समर्पण, मानवता का पाठ पढ़ाते।।

इंसान बन, इंसानियत के संस्कार अपनाएं,
प्रकृति, पर्यावरण का पूजन करना सीखें,
हरियाली धरा, नील गगन की शुचिता का भान रखें,
जीवनदायिनी जलधारा की शुद्धता का ध्यान रखें।।

आदर बड़े बुजुर्ग, गुरुजनों का करें नित,
सम्मान, छोटों को प्यार, करे खूब दुलार,
प्रेम रस धार से तृप्त रहे तन-मन, सारा विश्व,
दया, क्षमा, करुणा से धरा पर आये स्वर्ग।।

आदरणीय गुरुदेव, शिक्षक, माता पिता,
करते हैं सादर वंदन, नमन, चरण स्पर्श,
हमारे जीवन के अद्भुत शिल्पकार,
देते ज्ञान, सिखाते कला, कौशल, हुनर।।     
 
जीवन हो सुंदर, सुकर, सफल,
मिलेगी हमें मंजिल, निश्चित,
गुरुवर के आशीर्वाद और प्रोत्साहन से,
प्रेरणा, आशीष और मार्गदर्शन से।।

                 ✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )

2 टिप्‍पणियां:


  1. बहुत ही सुन्दर आत्मविभोर करती रचना. शिक्षक दिवस पर इस प्रकार की अनूठी रचना हर्षित कर रही है. आपकी कलम को नमन और आपके गुरुओं को नमन जिनके सान्निध्य में आपने यह कला सीखी. सादर.

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    1. आदरणीय सुदर्शन दादा, सादर प्रणाम। हौसलाअफजाई करती आप की प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। आप हमारे गुरु हो। आप ही से सीख रहे हैं हम शब्दों से रचना साकार करना। आप के आशीर्वाद हमें मिलते रहे। सादर

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