मंगलवार, सितंबर 28, 2021

❇️ मासूम बचपन ❇️

काश ! कोई  फिर लौटा दे,
वो मेरा मासूम बचपन।

माँ की गोदी में बना पालना,
वो उसकी बाहों में झूलना।

भरी दुपहरी में नंगे पैर घूमना,
बागों से आम चुराकर खाना।

बड़ों की डाँट खाकर मुस्कुराना,
फिर दादी माँ से बहाने बनाना।

काश ! कोई फिर लौटा दे,
मेरा वो मासूम बचपन।

दादा, नाना के किस्से सुनकर,
वो बरगद पे बेताल का भ्रम होना।

रेतीले महल में गुड़िया ब्याह रचना,
बारिश में काग़ज़ की नाव चलाना।

स्कूल में पट्टी पर लड़कर बैठना,
दोस्तों की दवात से मेरा लिखना।

काश ! कोई फिर लौटा दे,
मेरा वो मासूम बचपन।

खुले मैदान, बचपन के मेले,
 मेरे वो अनोखे खेल-खिलौने।

काश ! कोई फिर लौटा दे,
मेरी वो बचपन की अल्हड़ यादें।

✍️ तनु सिंह "जिज्ञासा" ( नैनीताल, उत्तराखंड )

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