पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन "साहित्यिक प्रतियोगिता" का आयोजन किया गया। जिसका विषय 'बचपन' रखा गया। इस प्रतियोगिता में इंदु नांदल (बावेरिया, जर्मनी) की प्रतिभागिता ने एक ओर जहां इस राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता बना दिया तो वहीं दूसरी ओर देश के अलग-अलग राज्यों के प्रतिभागी रचनाकारों ने भी एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट 'बचपन' विषय पर आधारित अपनी रचनाओं को प्रस्तुत कर प्रतियोगिता के स्तर को काफी ऊंचा उठा दिया। समूह के निर्णायकों द्वारा रचनाओं की उत्कृष्टता और रचनाकारों द्वारा रचनाओं में प्रस्तुत की गई हृदयस्पर्शी भावनाओं के आधार पर संध्या शर्मा, इंदु नांदल, कुसुम अशोक सुराणा, प्रतिभा तिवारी, चंचल जैन, डाॅ. ऋतु नागर, मीता लुनिवाल को "पुनीत सर्वश्रेष्ठ रचनाकार" सम्मान देकर सम्मानित किया गया तथा अन्य प्रतिभागी रचनाकारों को "पुनीत श्रेष्ठ रचनाकार" सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस प्रतियोगिता में अपनी रचना प्रस्तुत कर समूह की शोभा बढ़ाने वालोे में प्रमुख नाम संध्या शर्मा, इंदु नांदल, कुसुम अशोक सुराणा, प्रतिभा तिवारी, चंचल जैन, डाॅ. ऋतु नागर, मीता लुनिवाल, राज सुराना, रमाकांत तिवारी, डाॅ. सरला सिंह "स्निग्धा", डॉ. उमा सिंह बघेल, रामभरोस टोण्डे, मुकेश बिस्सा, अनुपमा कडवाड़, तनु सिंह "जिज्ञासा" रचनाकारों के रहे। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने सभी सम्मानित रचनाकारों को बधाई तथा शुभकामनाएं दी और कहा कि पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह इसी तरह आगे भी ऑनलाइन 'साहित्यिक प्रतियोगिताओं' के माध्यम से रचनाकारों को अपनी साहित्यिक प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करता रहेगा तथा नए रचनाकारों को साहित्यिक मंच उपलब्ध करवा के साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता रहेगा।
रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
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पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...
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