हे ज्ञान-ज्योति-प्रकाश दाता ! सादर अभिनन्दन।
जनमानस के तुम भाग्य विधाता ! सादर अभिनंदन।
प्रकृति को जैसे मानव का सुंदर स्वरूप भाता।
शिक्षार्थी को शिक्षक शिक्षा से ऐसे ही सजाता।
हे शिक्षा के दाता ! सादर अभिनन्दन।
मात-पिता ना करते कभी बखान अपना।
शिक्षक ने ही समझाया है सर्वप्रथम,
मात-पिता प्रथम गुरु हैं करो सम्मान उनका।
आदरणीय शिक्षक, सादर अभिनंदन।
कांटो पर भी तुमने चलना सिखलाया।
स्वयं बने आदर्श प्रथम, सबको प्रकाश दिखलाया।
गुरु रुप में परमात्मा तुम्हीं, सादर अभिनंदन।
कितना भी करूं बखान तुम्हारा, शब्द ही कम पड़ जाते हैं।
क्या दूँ तुमको, मैं ऋणी तुम्हारा, अभिनंदन-शीश झुकाते हैं।
हे ! ज्योतिर्मय प्रकाश, सादर अभिनंदन।
तेरे ही प्रकाश से प्रतिभा हुई प्रकाशित।
सम्मान दिलाया समाज में एक नाम किया है अंकित।
हे ! तमसो मा ज्योतिर्गमय, सादर अभिनंदन।
5 सितंबर को अबकी भी शिक्षक दिवस मनाना है।
हर भूल करूँ स्वीकार, तुम्हें ऑफलाइन बुलाना है।
नतमस्तक है प्रतिभा अब भी तेरे आगे, राह तुम्हें बतलाना है।
हे ! परम आदरणीय शिक्षक तुम्हारा सादर अभिनंदन ,सादर अभिनन्दन।
✍️ प्रतिभा तिवारी ( लखनऊ, उत्तर प्रदेश )
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