पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन "हिंदी दिवस साहित्यिक महोत्सव" का आयोजन किया गया। जिसका विषय 'हिंदी की महानता' रखा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया तथा हिंदी की महानता तथा विशेषता पर आधारित अपनी बेहतरीन रचनाओं को प्रस्तुत कर हिंदी भाषा के प्रति अपने अटूट स्नेह और आदर भाव को प्रकट किया। इस महोत्सव में संध्या शर्मा ( मोहाली, पंजाब ) तथा प्रतिभा तिवारी ( लखनऊ, उत्तर प्रदेश ) की रचनाओं ने सभी का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। इस महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन "पुनीत हिंदी गौरव" सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने हिंदी भाषा और उसके विद्वानों को कोटि-कोटि नमन करते हुए, समस्त देशवासियों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी तथा हिंदी दिवस मनाने के उद्देश्य की पूर्ति हेतु युवाओं को हिंदी भाषा को अपनी दैनिक बोल-चाल में अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए प्रेरित भी किया। इसके साथ ही उन्होंने महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन भी किया। उन्होंने समूह द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न ऑनलाइन साहित्यिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होने के लिए हिंदी रचनाकारों को सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम प्रतिभा तिवारी, मंजू शर्मा, संध्या शर्मा, डॉ. उमा सिंह बघेल, सावित्री मिश्रा, लक्ष्मी भट्ट, मीता लुनिवाल, डाॅ. ऋतु नागर, ममता सिंह "अनिका", मुकेश बिस्सा, रमाकांत तिवारी, शिल्पा मोदी रचनाकारों के रहे।
रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
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पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...
बहुत उम्दा
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