हम 75वीं स्वतंत्रता समारोह मनाने की तैयारी कर रहे हैं। चारों ओर धूम मची है, उल्लास छाया है, स्वतंत्रता दिवस का। कहीं स्वतंत्रता दिवस से संबंधित फिल्मी गाने चल रहे हैं, तो कहीं नाटक, काव्य पाठ एवं अन्य समारोह की तैयारियां हो रही हैं। सभी चेहरों पर स्वतंत्रता दिवस के समारोह की प्रफुल्ल रौनक दिखाई दे रही है।
मैं भी बहुत खुश हूँ। भला खुश क्यों न होऊँ। इससे बड़ी खुशी और क्या होगी कि हम स्वतन्त्र देश के, स्वतन्त्र नागरिक हैं। परन्तु इतनी खुशी के बीच एक कसक मेरे दिल को बहुत बेचैन कर रही है।
क्या यह उल्लास, यह उत्साह सिर्फ दो चार दिनों का है, उसके बाद क्या होना है ? सभी व्यस्त हो जाएंगे अपने कार्यों में, अपने स्वार्थ लिप्सा में मगन रहेंगे। ना देश की स्वतंत्रता का भान रहेगा, ना देश की गरिमा और संप्रभुता का मन में सम्मान रहेगा।किसी और ने एक बार सिर्फ एक बार भारत में एक कमी बतलाई तो हम भारतीय उसके समक्ष अपने देश की, अपने ही देश की सैकड़ों कमी (बुराइयाँ) गिनवा देंगे - "यहां गंदगी बहुत है, स्वार्थी बहुत हैं और.... और...और..... यह नहीं है, वह नहीं है"। यह कमियां गिनाते समय यह कभी नहीं सोचेंगे - "क्या हम इन कमियों से अछूते हैं"?
जयचंद-विभीषण को कोसने वाले क्या गारंटी देंगे - अवसर आने पर वे स्वयँ जयचंद और विभीषण सा व्यवहार नहीं करेंगे ?
नहीं उस समय तो सिर्फ अपना स्वार्थ देखा जाएगा। अपनी सफाई में कहेंगे -
"एक मेरे अच्छे होने से क्या होगा, पूरा देश तो बुरा है, सभी चोर हैं, सभी भ्रष्टाचारी हैं"।
बंधु मेरे पहले स्वयं तो ईमानदार बनकर देखो। क्या हम देश के सम्मान का ध्यान रखते हैं ? अपने देश के सम्मान को बचाने के लिए विदेशियों के सम्मुख एक भी उदाहरण प्रस्तुत करते हैं कि हमारा देश ईमानदार है। देश की गरिमा का, सम्मान का हम ख्याल रखते हैं ? ऐसा एक भी उदाहरण हमने नहीं दिया तो फिर दूसरों से उम्मीद कैसे करें।
हम छत्रपति शिवाजी के, महाराणा प्रताप के, रानी लक्ष्मी बाई के गुण गाते हुए सभी को अपने बच्चों को उनसा बनाने की सलाह देते हैं परन्तु स्वयँ कहाँ बन पाते उन सा। यदि सड़क पर एक घायल इंसान दिख जाए तो पुलिस से डरकर, अपना समय बर्बाद होने से डरकर, छोटी-छोटी परेशानियों से घबराकर उसकी सहायता नहीं करते। घायल इंसान को यूं ही सड़क पर मरने के लिए छोड़ देते हैं। और बात करते हैं पन्नाधाय की - जिसने अपने देश के लिये, युवराज की रक्षा के लिए, अपने बेटे की बलि दे दी।
ऐसे में क्या हमें अधिकार है भारत का नागरिक कहलाने का। मेरे विचार से नही। यदि मैं भारतीय हूँ तो मैं गर्व से कहूँ - "मुझे गर्व है भारतीय होने पर, मेरा देश महान है"।
हमारे देश में कहीं गंदगी है तो यह गंदगी हम ने ही फैलाई है, और इसकी सफाई भी हमें ही करनी होगी। जो भी कमियां हैं यह कमियां हम सबकी हैं, और इसे दूर भी हमें ही करना है। हमारा देश विश्व गुरु था, सोने की चिड़िया था, और आज हमें प्रयास करके अपने देश को ऊंचाइयों पर, शिखर पर ले जाना है। हमारा देश फिर से विश्व गुरु बने, सोने की चिड़िया बने, ऐसा काम हमें ही करना होगा।
देश के संसाधन से विभिन्न व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर, आई आई टी - आई आई एम से पढ़ाई करके, विदेशों में नौकरी के सपने नहीं देखने। इसके स्थान पर देश में रोजगार लगाकर 10 को और रोजगार देने के सपने देखें, और उस सपने को पूरा करने का प्रयत्न करें। आई आई टी - आई आई एम, एम्स में वही जाते हैं जो अतिरिक्त मेधावी होते हैं। अपनी मेधा का उपयोग अपने देश को धनी बनाने में, हुनरमन्द, सेहतमंद बनाने में करना है ना कि विदेश जाकर डॉलर कमाने के सपने देखना है।
यदि हम ऐसा कर पाते हैं, और अपनी संतान के भी दिल में भी यही इच्छा जगा पाते हैं, तो हमारे देश को शिखर पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। और वही होगा सही मायने में हमारी स्वतंत्रता का हमारे मौलिक अधिकार का सही उपयोग।
हम देश की संपत्ति को अपनी संपत्ति समझ कर उपभोग तो करते हैं, नष्ट भी करते हैं, परंतु उसकी रक्षा कितने करते हैं। आज सरकार की कोई नीति हमें पसंद नही आई जुलुस निकाल कर बस सरकारी संपत्ति को तोड़कर, जलाकर नष्ट करने में अपनी शान समझते हैं। तब भूल जाते हैं, यह हमारी अपनी संपत्ति है, इसलिये हमे इसकी रक्षा करनी है; बर्बाद नहीं करना। देश की अस्मिता की रक्षा यदि हम कर पाते हैं, तो ही हमें अधिकार होगा कहने का - "हम भारतीय नागरिक हैं"।
जिन अमर शहीदों ने, स्वतंत्रता सेनानियों ने, अपनी शहादत देकर हमें स्वतंत्र हवा दी सांस लेने के लिए, उनके प्रति हमारी यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी, और उन अमर शहीदों की आत्मायें हमें स्वर्ग से आशीष देंगी। वे भी हमपर गर्व करेंगे कि हम उनके वंशज हैं, और उन्होंने अपनी शहादत देकर जो देश बचा कर हमें सौंपा उसकी रक्षा करने में हम सक्षम हैं।
आइये आज हम सभी यह संकल्प लें हम देश की रक्षा करने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे। अपने देश की अस्मिता की रक्षा करेंगे। गर्व से कहेंगे - "हां हम भारतीय हैं, हमें अपने भारतीय होने पर गर्व है। फिर किसी को हिम्मत नहीं होगी हमारे देश को नीचा दिखाने की, हमें निम्न बताने की। कमी तो सब में होती है, अपनी आवश्यकता है अच्छाइयों से उस कमी को ढक देने की।
यदि हम ऐसा कर पाये तो हर दिन हर पल स्वतंत्रता समारोह दिवस होगा।
जय हिंद, जय भारत
✍️ निर्मला कर्ण ( राँची, झारखण्ड )
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