स्वाधीनता की ज्वाला को दिल में जलाए रखेंगे,
हम वतन की शान में सर को झुकाएं रखेंगे।
तलवारों से कटे जो वीर देश की खातिर,
शहीदों की राख माथे से लगाए रखेंगे।
मिली हजारों कुर्बानियों के बाद ये आजादी,
पंद्रह अगस्त इस जश्न के गीत हम गाएंगे।
मुद्दतों सही गुलामी अपनी जमीन अपने घर के लिए,
आज इस दिवस खुशी से घर को हम सजाएंगे।
अब नहीं कहीं भी होगी किसी की तानाशाही,
राजा रक्षक को सत्ता का ताज पहना आएंगे।
नमन-नमन शहीदों को दी हैं जिन्होंने बली जान की,
बारंबार उनकी याद में हम अश्क़ यूँ ही बहायेंगे।
था बड़ा दर्द से भरा मंज़र जो गुज़र गया,
सह लिया हमने बहुत अब नहीं सह पाएंगे।
प्रगति और प्रकाश के गीत गाओ मिल प्यार से,
विश्व गुरु की चाह में अब हम आगे ही बढ़ते जाएंगे।
✍️ संगीता सिंघल विभु ( पीलीभीत, उत्तर प्रदेश )
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