शनिवार, अगस्त 28, 2021

🏵️ नंदलाला, आ जाओ 🏵️

नंदलाला, कृष्ण कन्हैया,
बंसी बजैया, चितचोर कन्हैया।
वृंदावन सारा आनंद विभोर,
हर्षित गोकुल, राधा हृद हिलोर।
रास रचाये संग रमैया कान्हा,
बंसी सुर सुन बावरी राधा।
मटकी फोड़े देखो माखनचोर,
वस्त्र चुराए नटखट नन्दकिशोर।
गोकुल में स्वर्ग सुख का उजियार,
श्री विष्णु ले आये थे कृष्णावतार।
चारों ओर आज मचा हैं उत्पात, शोर,
पाप मिटाने आओ करुणा सागर।
प्रेम रस, आनंद भरो मन की गागर,
दुष्टों का विनाश, पापियों का संहार।
हे मुरारी, मुरलीधर बजाओ बांसुरी,
सुमधुर धुन से जीवन में आये माधुरी।
छितराओ निर्मल प्रेम रस रिमझिम बौछार,
भीगा भीगा रहे हर दिल तृप्त प्रीत तुषार।
हे गिरिधर, गोपाल, जगत तारणहार,
श्री कृष्णा, दुःख हरने, आ जाओ, सुनो पुकार।
फन फैलाये बैठा नकाबपोश भ्रष्टाचार,
डंक मारने छुप छुप दुराचार।
दुष्प्रवृत्तियों का करने समूल विनाश,
बचाने भोले भाले जन मन की लाज।
बचाने नारी का शील, ले द्रोपदी चीर,
सुदर्शन चक्र से करो तेज प्रहार।
बेख़ौफ़ हैं आज दुशासन, कंस,
खूनी होली खेल रहे हैं नराधम।
खूंखार भेड़ियों की टोली अमानुष,
मानवता, सहृदयता पर लगा रहे कलंक।
अधर्मी सोच मिटाने, आनंद बरसाने,
धरा को स्वर्ग सा अनुपम बनाने, हे प्रभु,
निस्तेज मानवता का दीप जलाने,
इंसानियत का पैगाम देने,
स्वार्थवश रिश्तों में आया जो सूखापन,
आओ श्री हरि मुरलीधर, आ जाओ।
काली अंधियारी रात में एक बार,
दिव्य प्रकाश चमकारा फैला दो।  
सूरज की रोशनी, चंदा की शीतलता,
महका दो फूलों सा कोमल मन।
तितलियों से रंग सु-रंग भर दो,
जीवन सजा दो, आओ कृष्ण मुरारी।
मटकी प्रेम माखन से भर दो,
स्नेह का माखन जगत को खिला दो।
महका दो, चहका दो मधुबन,
प्रेम रस भीगे हर हृदय कण-कण।
श्री कृष्णा, कृष्णा भजे सकल जन,
जगत को स्वर्ग-सा सुन्दर बना दो।  

              ✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )

1 टिप्पणी:

  1. मटकी प्रेम माखन से भर दो,
    स्नेह का माखन जगत को खिला दो। वाह वाह! बहुत बढ़िया प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...