हर दर्द सहा बच्चों की ख़ातिर
ख़ुद गीले में सोकर सूखे में उन्हें रखा
रात दिन जाग जाग कर उसे सुलाया
ऊँगली पकड़कर चलना सिखाया
स्नेह दिया अपार जब भी वो गिरा
हर ज़ख्म पर स्नेह का मरहम लगाया
सीख दी सच्चाई और प्यार की
सही राह पर चलना सीखाया
अपना स्नेह लुटाती रही सब पर
माँ होना आसान नही है
भगवान का ही रूप होती है
हर दुख को पीती है
माँ तो माँ होती है
स्नेह का गहरा सागर होती है
✍️ मीता लुनिवाल ( जयपुर, राजस्थान )
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