शहीदों के बलिदान से
अभी पानी हमें कई आज़ादी
भिड़ आँधी और तूफ़ान से
कब मिलेगी हमें आज़ादी
देश के गद्दारों से
कब मिलेगी हमें आज़ादी
आतंक के निर्मम साये से
कब मिलेगी हमें आज़ादी
मिले खोखले नारों से
कब मिलेगी हमें आज़ादी
अपने क्षुद्र स्वार्थों से
कब मिलेगी हमें आज़ादी
अंग्रेजी की ग़ुलामी से
कब मिलेगी हमें आज़ादी
पश्चिमी अंधानुकरण से
कब मिलेगी हमें आज़ादी
जाति-धर्म
कब मिलेगी हमें आज़ादी
भाषा प्रांत के रगड़ों से
कब मिलेगी हमें आज़ादी
नित होते भ्रष्टाचारों से
कब मिलेगी हमें आज़ादी
इस भाई भतीजेवाद से
कब मिलेगी बेटियों को आज़ादी
असुरक्षित माहौल से
कब मिलेगी हमें आज़ादी
ग़रीबी बेरोज़गारी से
कब मिलेगी हमें आज़ादी
घर के जयचन्दों से
कब मिलेगी हमें आज़ादी
इंसानियत के दुश्मनों से
पन्द्रह अगस्त को मिली आज़ादी
शहीदों के बलिदान से
अभी पानी हमें कई आज़ादी
भिड़ आँधी और तूफ़ान से
रहे मूक दर्शक तटस्थ यदि
अपराधी हैं हम सभी
सच्ची आज़ादी पाने को
जो जुटे नहीं जी जान से
✍️ ज्ञानवती सक्सैना "ज्ञान" ( जयपुर, राजस्थान )
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