जैसा कि हम सभी जानते हैं कि 15 अगस्त सन् 1947 को हमारे वीर सपूतों ने अपना बलिदान देकर अंग्रेजों से अपने देश, जो कि गुलामी की जंज़ीरों से जकड़ा हुआ था, को तोड़कर आज़ाद करवाया।
हमारा देश 'सोने की चिड़िया ' कहा जाता था।क्योंकि हमारे देश में अकूत धन-सम्पदा, प्रभावशाली जड़ी-बूटी, प्राकृतिक, समृद्धि, ज्ञान-विज्ञान, धर्म, संस्कृति, अध्यात्म का उत्कर्ष था। धन्वंतरि एवं सुषेण जैसे चिकित्सक थे। जरा नामक राक्षसी ने तो दो टुकड़ों में विभक्त बालक को जोड़कर सम्पूर्ण बालक ही बना दिया था।स्वतंत्रता दिवस पर यह सब लिखने का उद्देश्य यही है कि हमारा भारत देश कितना महान था।
राइट बंधु से पहले हमारे भारत में पुष्पक विमान बना था, पहले इंजीनियर विश्वकर्मा थे। भारत जगत् गुरु के रूप में प्रसिद्ध रहा है। अतः दूसरे देशों को यह रास नहीं आया कि भारत का वर्चस्व हो अतः कई शत्रु आक्रांता देशों की बुरी नज़र भारत पर लगी हुई थी। इनमें से कुषाण, हूण, अफगान, तुर्क, खिलजी, लो धी और मुगल आदि मुख्य हैं।
सिकंदर ने भी हमारे देश को हड़पने की नीयत से पोरस से युद्ध किया।पोरस पूरा ज़ोर लगाने के बाद भी जीत नहीं पाया। पर कहते हैं ना बुरे काम का बुरा फल, तो वह जीत के बावजूद अपने देश जाते-जाते पोरस के राज्य की एक नदी में सेना सहित डूब कर मर गया।
भारत को स्वतंत्र करवाने एवं ऐसे वैभव शाली राष्ट्र की रक्षा करने के लिये कितने ही वीर सपूतों ने अपना बलिदान कर दिया। भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव हँसते-हँसते फाँसी के फंदे पर झूल गये। रानी लक्ष्मी बाई और रानी दुर्गावती ने भी मुगलों से लड़ते-लड़ते अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया।
बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गाँधी, सरोजिनी नायडू ,सुभाष चंद्र बोस आदि के कुशल नेतृत्व ने भारत के नौजवानों को अत्यधिक प्रोत्साहित किया। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हमें याद करना चाहिेए कि जिस स्वतंत्रता का हम उपभोग कर रहे हैं, वह बहुत रक्तपात, कुर्बानी एवं अत्याचार को झेलने के बाद प्राप्त हुई है अतः यह हमारे लिये गौरवशाली और संरक्षणीय होनी चाहिए।
किसी और देश की कुदृष्टि अब हमारे देश पर नहीं पड़नी चाहिेए नहीं तो हमारे पूर्वजों का बलिदान तो व्यर्थ जाएगा ही, दोबारा प्राण बचाने के भी लाले पड़ जाएंगे।
कई कवियों ने राष्ट्रीय कविता एवं गीत लिखे हैं जिनमें चंदवरदाई, भारत भूषण, नागार्जुन, सोहन लाल द्विवेदी, मैथिली शरण गुप्त, सुभद्रा कुमारी चौहान, अशोक चक्रधर, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, रामधारी सिंह 'दिनकर', माखन लाल चतुर्वेदी, शिव मंगल सिंह 'सुमन 'आदि है।
✍️ उर्मिला मेहता ( इंदौर, मध्य प्रदेश )
Bahut hi sunder likha hai
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आशुतोष
हटाएंBahut badhiya
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका शुभ नाम नहीं आया ।
हटाएंभारत की महानता को जिन शब्दों में अपने व्यक्त किया व देश के अमर सपूतो के शौर्य गाथा एवं बलिदान का उल्लेखनीय वर्णन किया वह अपने आप मे आपकी लेखन कला का अद्भुत परिचय है।आपके द्वारा इसी प्रकार का ज्ञान व उत्कृष्ट लेखन को पढ़ने का अवसर बार बार हमें प्राप्त होता रहे।🙏🙏
जवाब देंहटाएंआपके प्रोत्साहन के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद
हटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद
हटाएंहमारे गौरवशाली इतिहास का प्रसांगिक वर्णन 👌🏻👌🏻
जवाब देंहटाएंmehta.urmila2012@gmail.com
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