विविध फूलों की हो क्यारी,
सजी धजी जीवन फुलवारी।
तितलियां सुंदर रंग-बिरंगी,
प्यारी-न्यारी मां भारती मेरी।।
मनाते खुशी से त्योहार-उत्सव,
आनंद उल्लास की खिले छांव।
रहते मिल-जुल प्रेम भाव से,
रहते मिल-जुल प्रेम भाव से,
बना रहे भाईचारा,सद्भाव।।
शूरवीरों की यह कर्मभूमि,
साधु संतों की पावन धर्म भूमि।
जीवदया संस्कृति हमारी,
संस्कार सुशोभित भारत भूमि।।
दया, क्षमा, करुणा का संदेश,
शील, चरित्र, धर्म उपदेश।
योग ध्यान से मिले मनःशांति,
पाठ पढ़ाये जग को भारत देश।।
विविध हैं जाती, भाषा, धर्म,
निभाये अपना कर्तव्य कर्म।
रंग बिरंगे विविध परिवेश,
निभाये अपना कर्तव्य कर्म।
रंग बिरंगे विविध परिवेश,
अहिंसा हमारा परमोधर्म।।
अनेकता में एकता सजा,
प्रकृति, पर्यावरण करे पूजा।
मैत्री संदेश जग को देता,
मेरे भारत-सा न कोई दूजा।।
महाप्रतापी वीर महावीर,
शक्ति स्वरूपा नारी सुधीर।
नमन करूँ भारत माता को,
सुमंगल धरा,पावन नीर।।
प्रेम आह्लाद का झंकारा,
सब की आँखों का तारा,
तेजस, ओजस दिवाकर-सा,
भारत देश हैं मेरा प्यारा।।
✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )
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