मंगलवार, जुलाई 20, 2021

* विवाह *

हाथ पीले करना lucky draw सा,
लग गया तो जीवन glow सा,
या फिर जीवन नर्क सा,
जीवित-मृत देह में, कहाँ कोई फर्क सा।


जीवन जब पीला पड़ता,

पिता तब पुत्री का घर भरता,

कुछ कन्या चढ़ती सूली पर,

कुछ अल्प उम्र में अर्थी पर।


पीला हाथ है बस एक सपना,

रंग-बिरंगा हो घर अपना,

पिता संजोता सपने लाख,

जीवन अपना कर देता खाक।


बचपन से ही कन्या सुनती,

भविष्य की गलती की कटुता ढोती,

ज्यादा पढ़ना अपवाद तो,

ना पढ़े तो जीवन श्राप।


महँगा बड़ा है वर यहाँ,

मोल भाव और छल यहाँ ,

गुण-अवगुण कौन निहारें,

सब को बस "अर्थ" ही प्यारे।


पीले हाथ की लगती बोली,

पीली-पीली सजती डोली,

पीला पड़ जाता घर-आँगन 

बाबुल छोड़ जब जाती, घर साजन।


जीवन अपना दांव लगाती,

हार-जीत सम मानकर जाती,

"अनिश्चित" पथ बढ़ जाती,

"हाथ पीले" जब कन्या करती।


✍️ मंजू शर्मा ( सूरत, गुजरात )





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