गुरुवार, जुलाई 29, 2021

* गुरु बिन ज्ञान कहां से पाऊं *


गुरु बिन ज्ञान कहां से पाऊं ?
अज्ञान तिमिर कैसे हर जाऊं ?

मैं बालक ! मंद, अबोध, अज्ञानी,
वेद-शास्त्र, धर्म-मर्म कछु न जानी।

गीता, कुरान, बाइबल, गुरुवाणी।
आगम, उपनिषद्, ज्ञान की खाणी।

आतम ज्ञान ज्योत, कैसे प्रकटाऊं ?
गुरु बिन ज्ञान, कहां से मैं पाऊं ?

मैं मूढ़ ! कैसे बनु पंडित, ज्ञानी ?
गुरु बिना कौन समझाएं वाणी ?

गुरु ! मैं काष्ठ, आप श्री हुनर के धनी।
छीलत, गढ़त मूरत बहुविध सोहनी।

सद्गुरु ! आप कुम्हार, मैं गीली मिट्टी,
दे आकर कुशल हाथ, चक्के पे मिट्टी।

गुरुवर! मैं भीगे आटे की कच्ची लोई,
अंगीठी चढाई आप फुल्का मृदु पोई।

गुरु ! तुम बिन ना मोक्ष, ना हैं मुक्ति।
गुरु ! तुम कृपा बिन निरर्थक भक्ति।

गुरु ! ब्रम्हा, विष्णु, गणाधिश, ज्ञान प्रदाता।
गुरुकृपा बिन कैसे हो भव पार विधाता ?

गुरु सुमिरण सु सफल मनुज जन्म भारी।
गुरु चरण रज देव, धर्म, दर्शन हितकारी।
       
        ✍️ कुसुम अशोक सुराणा ( मुंबई , महाराष्ट्र )

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