पल-पल नूपुर की ध्वनि का यूँ बजना,
घर आंगन को हैं महकाता।
बन मेरी "आंखों का तारा"
मेरी सांसों में है तू बस जाता।
तेरी तुतली-तुतली बातों पर,
मन मेरा सदैव है मुस्काता;
बस देख देख कर ही तुझको,
झंकृत मेरा चितवन हो जाता;
बनकर घर में सबकी "आंखों का तारा"
ना जाने तू कैसे सभी को मोहित कर जाता।
ओझल जो एक पल तू हो जाता,
जीना सबका दुश्वार हो जाता;
तेरा रूठना, जिद करना,
फिर प्यार से मेरा आलिंगन कर लेना,
दोनों जहां की खुशियां, मुझको है दे जाता;
बन हम सबकी "आंखों का तारा"
घर आंगन सबको महकाता।
देख देखकर तुझको,
पुलकित, हर्षित हो जाते हैं;
सुन तेरी किलकारियों की गूंज,
हर दिन दिवाली बन जाती हैं;
मुख से सुन तेरे मां,
पल-पल निहाल हो जाती हूँ;
गोद में आकर जब तू बैठता,
अपनत्व के एहसास से भर उठती हूँ;
है तू मेरी "आंखों का तारा"
तुझ बिन जीना नहीं मुझे गंवारा।
बलिहारी जाऊं मैं तुझ पर,
मिले ईश्वर का हर पल आशीष तुझे,
बस यही विनम्र प्रार्थना पल पल मैं कर जाती हूँ।
मिले जहां की सारी खुशियां तुझे
यही आशीष सुबह शाम तुझ पर लुटाती हूँ।
✍️ अनुपमा तोषनीवाल ( कोलकाता, पश्चिम बंगाल )
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