मंगलवार, जुलाई 20, 2021

* सपने टूटना *

जिंदगी की राहों पर चलते हुए हमें आंखें और कान खुले रखने चाहिए क्योंकि बुरा वक्त कब आ जाए किसी को कुछ पता नहीं, वह कब हमारे होठों की हंसी चुरा ले, आंखों में छाई खुशियां छीन ले किसी को नहीं मालूम।
                           मां-बाप सोचते हैं बुढ़ापे का सहारा हमारा बेटा है, वह अंधे की लाठी है। बच्चों की भोली बातों पर जिनकी आंखें मुस्काती हैं, जो आंखें बच्चों का चेहरा पढ़ लेती हैं, जिनकी उपस्थिति से मां-बाप की खुशियों में चार चांद लग जाते हैं, वही बच्चे उनके लिए एक दिन ईद का चांद हो जाते हैं माता-पिता आकाश पाताल एक कर देते हैं उन्हें अच्छी शिक्षा दीक्षा देने में परंतु बच्चे जिस दिन अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं माता-पिता को दूध से मक्खी की तरह निकाल फेंकते हैं। माता-पिता के चेहरे मुरझा जाते हैं, सपने टूट जाते हैं, सर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है।
                          पिता का यह सपना कि एक दिन एक और एक मिलकर ग्यारह होंगे, बेटा कंधे से कंधा मिलाकर सहारा बनेगा, धूल में मिल जाता है।
जिसके जन्म पर वे फूले नहीं समाए थे, जिसे खुश रखने में जिंदगी की सारी कमाई लुटा दी वही एक दिन उनसे नजरें फेर लेते हैं। बूढ़ी मां की आंखें रास्ता देखते-देखते पथरा जाती हैं, अखियां दिन रात बरसती है, चेहरे पर दुख के बादल छा जाते हैं पर बेटे मां-बाप की ओर पलट कर देखते नही। मां-बाप की आंखें खुलती हैं जब घर के चिराग से ही घर को आग लग जाती है परंतु अब पानी पीटने से क्या फायदा ?

                                     ✍️   संध्या शर्मा ( मोहाली, पंजाब )

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