शनिवार, जुलाई 17, 2021

( ** गृहिणी ** )

गृहिणी शब्द तीन अक्षर का है और अपने अंदर तीनो लोक की गंभीरता छुपाए हुए हैं। इस शब्द को परिभाषित करना इतना आसान नहीं है, पर इसकी छोटी सी व्याख्या तो की ही जा सकती है गृह शब्द से ही गृहिणी शब्द बना है | वह स्त्री जो घर को सजाए, सवारे उसकी देखभाल करें और उसके अस्तित्व को बनाए रखे गृहिणी कहलाती है।

            गृहिणी बिना कोई भी घर घर न होकर सिर्फ मकान रह जाता है जिस तरह अलग-अलग रूप रंग वाले फूल और पत्तियों को मिलाकर गुलदस्ता बनता है उसी तरह एक गृहिणी परिवार के अलग-अलग सदस्यों को एक साथ बांधकर घर को गुलदस्ते की तरह सजा देती है अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाती है उसके अस्तित्व से ही घर का अस्तित्व बना रहता है एक दिन यदि वह घर में ना हो तो सबको ऐसा लगता है मानो घर में कोई है ही नहीं| रविवार सबके लिए छुट्टी का दिन होता है परंतु एक गृहिणी के लिए दुगने काम का होता है | रविवार ढेरों काम लिए उसकी प्रतीक्षा करता है और गृहिणी अपनी मुस्कान और पाक कला से सबके अंदर एक सप्ताह के लिए ऊर्जा भर देती है यह बात और है कि आज की गृहिणी और पहले की गृहिणी के कार्य का प्रारूप अलग-अलग था परंतु यदि हम गौर से देखें तो आज की गृहिणी दोहरी जिम्मेदारी निभा रही है एक घर की और दूसरी बाहर की घर में सब की देखभाल, रसोई टिफिन बच्चों की देखभाल पढ़ाई, होमवर्क के साथ-साथ अपना ऑफिस भी संभालती है मैनेजमेंट का कोर्स चाहे किया हो या नहीं लेकिन सब कुछ मैनेज करना उन्हें बखूबी आता है यह सच है कि आज उन्हें पहनने ओढ़ने घूमने फिरने की आजादी है तभी तो उन्होंने पलना से पर्वत तक रसोई से रणभूमि तक, कागज की नाव से हवाई जहाज तक, घुंघट से घमासान तक, अवनि से अंबर तक, जल से थल तक, कंगना से कटार तक, बोली से बंदूक तक, इला से अंतरिक्ष तक का सफर पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर बड़ी आसानी से तय कर लिया परंतु अपनी गृहिणी होने की गरिमा को भी मिटने नहीं दिया उसे अक्षुण्ण रखा ऐसी गृहिणी को मेरा नमन। 

                       ✍️ संध्या शर्मा ( मोहाली, पंजाब )



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...