नीरव में भरते उल्लास, ये है युग प्रवर्तक।
कच्ची मिट्टी को ये देते हैं सुंदर स्वरूप,
सच्ची झूठी दुनिया का दिखाते रूप।
नन्हें पौधों को चाहिए खास ख्याल,
बगिया का माली से अच्छी कौन करें
देखभाल।
देश का भविष्य बनाना मामूली नही काम
पढ़ाई चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन
मुश्किल है ये काम।
महाभारत के द्रौणाचार्य या अब्दुल कलाम
गुरू महिमा को और शिक्षकों को मेरा सलाम।
विश्व गुरू ऐसे ही नहीं भारत कहलाया,
अध्यात्म से लेकर, टेक्नोलॉजी का
परचम इसने लहराया।
गोविन्द से श्रेष्ठ गुरु को मिला स्थान,
हमारी संस्कृति की कहलाते शान।
✍️ हरप्रीत कौर ( कानपुर, उत्तर प्रदेश )
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