रविवार, जुलाई 18, 2021

( ** गृहिणी का जीवन ** )

गृहिणी के जीवन में रविवार नहीं होता,  
घर के सारे काम वो करती, 
एक मिनट आराम न करती,
घर परिवार को संभालती, 
सारे उत्सव की जान वो होती,
किसी भी चीज की चाह न करती, 
हर पल प्यार की बौछार करती,
बच्चो की मुस्कान पर अपनी सारी खुशियाँ लुटाती,
हाँ मैं ग्रहणी हूँ, 
पूरे घर की शान मुझसे है,
मेरे से ही दुनिया है,
मेरे से ही सारे त्यौहार है,
भागते दौड़ते जब थक जाती हूं,
अपनी थकान परिवार के प्यार से उतारती,
 छोटी-छोटी बातों में, 
 अपनी खुशी को देखती,
 मैं ग्रहणी हूँ, 
 पूरे घर में खुशियाँ बिखेरतीं हूँ।।
                            
                    ✍️  गरिमा ( लखनऊ, उत्तर प्रदेश )


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