रविवार, जुलाई 18, 2021

( ** स्वर्ग से सुंदर घर हो हमारा ** )

स्नेहभाव से थामे हाथ,
एक दूजे का करे विश्वास,
थोड़ासा मेरा,थोडासा तेरा,
मिलजुल बनाये घर हमारा।
आत्मीयता की रेशम डोर,
अपनेपन की खिले भोर,
समर्पण भावना रहे सदा,
एक दूजे का साथ सर्वदा।
प्राची की लालिमा सुहानी,
सूरज की किरणें सुनहरी,
सुरभित रंग बिरंगी फुलवारी,
नवागत की गूंजे किलकारी।
प्रेम,दुलार की धारा निर्मल,
आशीर्वाद का तेजस तारा,
दीपमाला आनंद पथ दर्शाये,
दुआयें महकते फूल खिलाये।
घर आंगन खुशियों का डेरा,
परिवार में एक दूजे का सहारा,
जीवन सुंदर नेह उजियारा,
स्वर्ग-सा सुंदर घर हमारा,
स्वर्ग से सुंदर घर हो हमारा।

              ‌ ✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...