गुरुवार, जुलाई 15, 2021

( ** वर्षा ऋतुओं की रानी है ** )

         वर्षा ऋतुओं की रानी है

      इसकी भी अजब कहानी है l


    रिमझिम बरस रहा है बादल

    भीग रहा धरती का आंचल

     गुंजित है नभ में घन गर्जन

दामिनी झलक दिखाती क्षण क्षण l


    प्यासी धरती  है हुलस रही

    पौधे भी हैं पौधे विलस रहे

    ताल तलैया भर जाएंगे

    खेतों में पौधे निखर जाएंगे l


    चहूं दिश हरियाली है छाई

      मौसम वर्षा की है आई

       वर्षा ऋतु की रानी है

    उसकी भी अजब कहानी है l


    कहीं मन मयूर है नाच रहा

 आह्लादित बारिश सँग झूम रहा

    वर्षा की बूंदे जब झड़ती हैं

      खेतों में बीज पनपती है l


कृषकों ने वर्षा का आह्वान किया

किया खेतों में महिमा गान किया

       कुछ ऐसे भी बेचारे हैं

      जो तकदीर के मारे हैं l


    जिनके घर की है छत टूटी

   जिनसे उनकी किस्मत रूठी

    वह कैसे वर्षा का मान करें

     कैसे उसका गुणगान करें l


    वे बेचारे सिमटे सिकुड़े हैं

   उच्चारित करें अपने दुखड़े हैं  

    वह मना रहे वर्षा की लड़ी

   कब रुके जो उनको चैन पड़े l


   फिर भी वरदान है चौमासा

    बिन वर्षा जगत रहे प्यासा

      वर्षा से ही जिंदगानी है

 सब जीवों की जीवन दायिनी है l


      वर्षा रानी रूठ अगर जाये

      जीवन सारा अकुला जाये

      वर्षा से आती खुशहाली है

      धरती को देती हरियाली है l


        वर्षा ऋतुओं की रानी है

      इसकी भी अजब कहानी है l

                     ✍️ निर्मला कर्ण ( राँची, झारखण्ड )  



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