पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन "गुरु पूर्णिमा साहित्यिक महोत्सव" का आयोजन किया गया। जिसका विषय 'गुरु का महत्व' रखा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया तथा एक से बढ़कर एक गुरु के महत्व, विशेषता, भक्ति तथा महिमा पर आधारित अपनी श्रद्धा भावों से ओत-प्रोत रचनाओं को प्रस्तुत कर मंच पर गुरु भक्ति के अद्भुत दृश्य को प्रकट किया। इस महोत्सव में डाॅ० सरला सिंह "स्निग्धा" (दिल्ली) और कुसुम अशोक सुराणा (मुंबई, महाराष्ट्र) की गुरू भक्ति भावना से परिपूर्ण रचनाओं ने सभी का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। इस महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन "पुनीत गुरु आशीष" सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम वाणी कर्ण, मंजू शर्मा, प्रतिभा तिवारी, संगीता सिंघल विभु, डॉ. उमा सिंह बघेल, अनुपमा तोषनीवाल, डाॅ. ऋतु नागर, संध्या शर्मा, दीप्ति श्रीवास्तव खरे, डाॅ. सरला सिंह "स्निग्धा", चंचल जैन, कुसुम अशोक सुराणा, हरप्रीत कौर, भारती अग्रवाल, सुनीला गुप्ता, निर्मला सिन्हा, निर्मला कर्ण, मीता लुनिवाल रचनाकारों के रहे। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने विश्व के समस्त गुरुओं को उनके श्रेष्ठ कार्यों के लिए कोटि-कोटि नमन किया और सभी प्रतिभागियों को गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं दी तथा महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन भी किया। उन्होंने कहा कि पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह इसी तरह आगे भी ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सवों के माध्यम से रचनाकारों को अपनी साहित्यिक प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करता रहेगा तथा नए रचनाकारों को साहित्यिक मंच उपलब्ध करवा के साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता रहेगा।
रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
-
बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
-
जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
-
हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...
बहुत सुन्दर आयोज़न साहित्य कारों के लिये अनुपम अवसर पुनीत कार्य
जवाब देंहटाएं