मंगलवार, जुलाई 20, 2021

* गरीब के सपने *


कई रातें हो गई सोच-सोचकर,

बूढ़ी अंखियों को नींद ना आई।

घर बैठी जवान लड़की,

हाय ! हाथ पीले करने की चिंता खाई।   

कौन करेगा इस अभागन के हाथ पीले, 

गरीबी ने हैं उसे खाया।   

सुना है ! साहूकार खेत को गिरवी रखकर, 

बड़ी रकम दे रहा है।        

शायद उस रकम से,

उसकी बेटी के हो जाए हाथ पीले।                                    

और रही जो बाकी चीजें,

सोच रहा है वह कि घर में रखें पुराने गहनों को बेच,

नए गहने बनवा लेगा।                               

सारी रात चिंता खाए,

गरीब बूढ़ी अंखियों को कैसे नींद आए ?

जब तक हाथ पीले ना कर दे अपनी जवान बेटी के,              

वह तब तक चैन कैसे पाएं।

लाल चुनर, झुमके, पायल, माथे पर बिंदिया,

और हरी-हरी चूड़ियों से सजी संवरी नई दुल्हन सी,

रोज देखता है वह अपने सपनें में अपनी बिटिया को।            

कब होंगे उस गरीब के सपने पूरे ?

यह सोच-सोच कर जी घबराता है उसका।  

काश ! कर दे वह कन्या दान और पा ले इस जन्म से मुक्ति......।                                     

               ✍️  निर्मला सिन्हा ( राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ ) 




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