एक तपस्या है मानव जीवन जीना,
अपना कर्म करना और जूझ कर मरना।
मानव करता तप कुछ अपूर्व रचने को,
जीवन नैया के भँवर से पार उतरने को।
चाहे कितने हों काँटे या राह में आए बाधाएँ,
कठिन तपस्या से वो सब दूर हो जाएँ।
अगर जाने-अनजाने कहीं तुम पिछड़ जाओ,
उस राह की धूल में तुम गम न कभी करना।
एक तपस्या है मानव जीवन को जीना,
अपना कर्म करना और जूझ कर मरना।
मानव जीवन कोई तपस्या से कम नहीं,
पग-पग पर हैं कठिनाइयां कोई गम नही।
समस्याओं से जो पार उतर जाता है,
सुखी जीवन का वरदान वही पाता है।
✍️ सावित्री मिश्रा ( झारसुगुड़ा, ओड़िशा )
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